अष्टधातु रिंग - सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का प्रतीक
शुद्ध अष्टधातु से निर्मित नाम राशि से सिद्ध अंगूठी नवग्रहों को बैलेंस कर कुंडली के दोषों का निवारण करता है, परिणाम स्वरूप जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि आती है।
अष्टधातु अंगूठी आठ पवित्र धातुओं – सोना, चांदी, तांबा, लोहा, जस्ता, सीसा, टिन और पारा – से बनी एक शक्तिशाली और शुभ अंगूठी है। यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और मानसिक शांति लाने में सहायक होती है। अष्टधातु का धार्मिक महत्व प्राचीन काल से रहा है, और इसे ग्रहदोष निवारण, बुरी नजर से बचाव एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है। यह अंगूठी स्वास्थ्य, करियर और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

जो लोग जीवन में बार-बार रुकावटें, नौकरी में समस्याएं, व्यापार में नुकसान या निजी तनाव झेल रहे हैं, उनके लिए अष्टधातु अंगूठी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। यह नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने वाला एक आध्यात्मिक कवच है। अष्टधातु को टिकाऊ और देवत्व युक्त माना जाता है, जिससे यह जीवन में संतुलन लाती है। इसे शुभ दिन जैसे गुरुवार या शनिवार को गंगाजल से शुद्ध कर पहनना चाहिए। यह अंगूठी विज्ञान और श्रद्धा का सुंदर समन्वय है।
अष्टधातु रिंग कौन पहन सकता है?
अष्टधातु की अंगूठी एक शक्तिशाली और शुभ धातु मिश्रण से बनी होती है, जिसे ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद उपयोगी माना जाता है। इसे लगभग सभी लोग पहन सकते हैं, लेकिन कुछ विशेष व्यक्तियों के लिए इसे विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
कौन पहन सकता है?
- जो लोग आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं– ध्यान, योग और साधना करने वालों के लिए यह उपयोगी होती है।
- व्यापारी और नौकरीपेशा लोग – यह भाग्य को मजबूत करने और सफलता दिलाने में मदद करती है।
- शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर लोग – यह धातु मिश्रण ऊर्जा संतुलित करता है और रोगों से बचाने में सहायक होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से बचने के लिए – इसे पहनने से व्यक्ति बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता है।
- जिनकी कुंडली में ग्रह दोष हो – अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में नवग्रहों का दोष हो, तो यह अंगूठी उसे राहत दे सकती है।
- सूर्य, शनि या राहु-केतु से प्रभावित लोग – यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य, शनि, राहु या केतु ग्रह कमजोर हैं, तो यह रिंग उन्हें फायदा पहुंचा सकती है।
किसको नहीं पहनना चाहिए?
- गर्भवती महिलाएं – इसमें सीसा और पारा जैसी धातुएं होती हैं, जो कुछ मामलों में शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- जिन्हें धातु से एलर्जी हो – अगर किसी को किसी भी धातु से एलर्जी हो, तो इसे पहनने से पहले सलाह लेना जरूरी है।
- अगर कोई विशेष धातु कुंडली में दोष उत्पन्न कर रही हो – कुंडली के अनुसार यदि कोई धातु व्यक्ति के लिए अनुकूल न हो, तो उसे पहनने से बचना चाहिए।
॥ अष्टधातु रिंग के फायदे : ॥
- मानसिक तनाव दूर होता है
- बीमारियां कम होती हैं
- हर क्षेत्र में सफलता मिलती है
- नौकरी-बिज़नेस में तरक्की होती है
॥ अष्टधातु रिंग कैसे पहनें? : ॥
1. इसे शनिवार या शुभ मुहूर्त में धारण करना शुभ माना जाता है।
2. इसे शुद्ध जल या गंगाजल से धोकर, पूजा करके पहनना चाहिए।
3. सही उंगली में पहनना जरूरी होता है – ज्योतिषी से सलाह लेकर ही इसे पहनें।
